नाम अटल कहलाता था

नाम अटल कहलाता था

देवतुल्य वह व्यक्ति हमेशा;
भारत के गुण गाता था।
अटल वचन था अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

पिता एक अध्यापक थे पर;
कवि हृदय भी पाया था।
साहित्यिक गुण भी तो शायद;
सुनो वहीं से आया था।

पढ़ना और पढ़ाना ही बस;
उनके मन को भाता था।
अटल वचन था, अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

प्रखर बुद्धि, ओजस्वी वक्ता;
शिक्षा-दीक्षा खूब हुई।
आजीवन अविवाहित थे वो;
देशभक्ति महबूब हुई।।

मातृभूमि पर मर मिटना था;
उससे ही बस नाता था।
अटल वचन था अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

मुखिया बने देश के जब-जब;
मातृभूमि का हित साधा।
सिंह गर्जना करते थे जब;
मिट जाती थी सब बाधा।।

किया यहाँ परमाणु परीक्षण;
जग उनसे थर्राता था।
अटल वचन था, अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

चार दशक ओजस्वी वाणी;
इस संसद में गूँजी थी।
सरल हृदय मन में सच्चाई;
बस ये उनकी पूँजी थी।।

बच्चों जैसा मन था उनका;
केवल सत्य सुहाता था।
अटल वचन था, अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

चले गये वो हमें छोड़कर;
मार्ग सत्य का दिखलाकर।
स्वाभिमान से जिएँ किस तरह,
सबक अनोखा सिखलाकर।।

जी भरकर वे जिये उम्र भर;
उन्हें न झुकना आता था।
अटल वचन था अटल शख्सियत;
नाम अटल कहलाता था।।

रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

Comments

Popular posts from this blog

आत्ममंथन : टीचर में कुछ अवगुण~आओ मिल कर दूर करें

मिशन शिक्षण संवाद : मिशन शिक्षण संवाद क्या?

हिन्द से हिन्दी