बेटी हूँ मैं
बेटी हूँ मैं
बीज हूँ मैं तो
दफ़न कर दो मुझे
मिट्टी में तुम।
उग आऊँगी,
हरे खेत बन कहीं,
लहलहाऊँगी।
खिल उठूँगी,
किसी फुलवारी में
फूल बनकर।
चहचहाऊँगी,
किसी बाग़ में कहीं
पंछी बन के।
गुनगुनाऊँगी,
किसी मुहाने पर,
झरना बन।
खिलखिलाऊँगी
किसी आँगन में बन,
नन्हीं कली।
महक जाऊँ
इन फ़िज़ाओं में
खुशबू बन।
मिल जाएँ गर,
होंसलों के पंख मुझे,
मैं उड़ूँगी।
आसमाँ से
दूर कहीं अनन्त में
सितारा बन।
चमक उठूँगी,
सुनहरी धूप बन के
सूरज बन।
बेटी हूँ मैं
जन्म लेने तो दो
मुझे एक बार।
वादा है मेरा,
खुशियों से भर दूँगी
तुम्हारा घर संसार।
रचयिता
अंजना कण्डवाल 'नैना'
रा0 पू0 मा0 वि0 चामसैण,
विकास क्षेत्र-नैनीडांडा,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
दफ़न कर दो मुझे
मिट्टी में तुम।
उग आऊँगी,
हरे खेत बन कहीं,
लहलहाऊँगी।
खिल उठूँगी,
किसी फुलवारी में
फूल बनकर।
चहचहाऊँगी,
किसी बाग़ में कहीं
पंछी बन के।
गुनगुनाऊँगी,
किसी मुहाने पर,
झरना बन।
खिलखिलाऊँगी
किसी आँगन में बन,
नन्हीं कली।
महक जाऊँ
इन फ़िज़ाओं में
खुशबू बन।
मिल जाएँ गर,
होंसलों के पंख मुझे,
मैं उड़ूँगी।
आसमाँ से
दूर कहीं अनन्त में
सितारा बन।
चमक उठूँगी,
सुनहरी धूप बन के
सूरज बन।
बेटी हूँ मैं
जन्म लेने तो दो
मुझे एक बार।
वादा है मेरा,
खुशियों से भर दूँगी
तुम्हारा घर संसार।
रचयिता
अंजना कण्डवाल 'नैना'
रा0 पू0 मा0 वि0 चामसैण,
विकास क्षेत्र-नैनीडांडा,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
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