हे! अन्नदाता तुमको नमस्कार

हे! अन्नदाता तुमको नमस्कार

सोने चाँदी से नहीं किन्तु
तुमने मिट्टी से किया प्यार।
खून पसीना बहा बहाकर,
हरित क्रांति की लाते बहार।
हे अन्नदाता-----------------।

आज के दिन ही जन्मा था
भारत में इक मानव महान।
सातवें प्रधानमंत्री देश के
चौ0 चरण सिंह था जिनका नाम।
हे! अन्नदाता-------------------।

कृषि कार्यों से जुड़ा हुआ था
उनका निज का पूरा परिवार।
इसीलिए वे कृषक वर्ग से,
करते थे वे जी भर प्यार।।
हे! अन्नदाता---------+-------।।

अपने शासनकाल में उन्होंने
कृषक वर्ग पर दिया था ध्यान।
हरित क्रांति लाने की खातिर,
उन्हें समर्पित यह दिन आज।।
हे! अन्नदाता-------------------।

चिलचिलाती धूप हो क्वार माह की
या हो ओलों की बौछार।
सर्दी सहते पौष मास की,
शस्य श्यामला करते तैयार।।
हे! अन्नदाता----------------।।

श्वेत क्रांति और हरित क्रांति के
तुम सब हो मूल आधार।
रोशन करके नाम देश का,
हरित क्रांति की लाते बहार।।
हे! अन्नदाता---------------।।

२३दिसम्बर का पुनीत पर्व यह
खुशियों से हम मनाते   आज।
किसान दिवस के रूप में इनको
नमन  कर रहे हम  सब आज।।
हे! अन्नदाता----+----------------।।
           
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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